श्री कृष्ण चालीसा – Shri Krishna Chalisa in Hindi
श्री कृष्ण चालीसा: लीलाधारी की स्तुति
श्री कृष्ण चालीसा हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण को समर्पित एक प्रसिद्ध और भक्तिमय स्तोत्र है। भगवान कृष्ण को विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजा जाता है। उन्हें लीलाधारी, माखन चोर, और प्रेम के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है। इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है, और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
श्री कृष्ण चालीसा का महत्व:
- भक्ति और प्रेम: यह चालीसा भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति और प्रेम को बढ़ाता है।
- कष्ट निवारण: ऐसा माना जाता है कि इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों के कष्ट और परेशानियां दूर होती हैं।
- मन की शांति: यह चालीसा मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
- समृद्धि और खुशहाली: इस चालीसा के पाठ से जीवन में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है।
श्री कृष्ण चालीसा का पाठ कैसे करें:
- प्रातः काल: सुबह स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान कृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर चालीसा का पाठ करना उत्तम माना जाता है।
- धूप-दीप: धूप और दीप जलाकर पाठ करें।
एकाग्र मन: एकाग्र मन से पाठ करें और भगवान कृष्ण के स्वरूप का ध्यान करें। - नियमित पाठ: नियमित रूप से पाठ करने से विशेष फल मिलता है।
श्री कृष्ण चालीसा के कुछ चुनिंदा चौपाई:
- जय यदुनन्दन जय जगवन्दन, जय वसुदेव देवकी नन्दन।
- जय यशुदा सुत नन्द दुलारे, जय प्रभु भक्तन के दृग तारे।
- वंशी मधुर अधर धरि टेरौ, होवे पूर्ण मनोरथ मेरौ।
- आओ हरि पुनि माखन चाखो, आज लाज भक्तन की राखो।
Shri Krishna Chalisa – (श्री कृष्ण चालीसा)
॥ दोहा॥
बंशी शोभित कर मधुर,
नील जलद तन श्याम ।
अरुण अधर जनु बिम्बफल,
नयन कमल अभिराम ॥
पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख,
पीताम्बर शुभ साज ।
जय मनमोहन मदन छवि,
कृष्णचन्द्र महाराज ॥
॥ चौपाई ॥
जय यदुनन्दन जय जगवन्दन ।
जय वसुदेव देवकी नन्दन ॥
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे ।
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे ॥
जय नट-नागर नाग नथैया ।
कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया ॥
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो ।
आओ दीनन कष्ट निवारो ॥
वंशी मधुर अधर धरी तेरी ।
होवे पूर्ण मनोरथ मेरो ॥
आओ हरि पुनि माखन चाखो ।
आज लाज भारत की राखो ॥
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे ।
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे ॥
रंजित राजिव नयन विशाला ।
मोर मुकुट वैजयंती माला ॥
कुण्डल श्रवण पीतपट आछे ।
कटि किंकणी काछन काछे ॥
नील जलज सुन्दर तनु सोहे ।
छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे ॥10
मस्तक तिलक, अलक घुंघराले ।
आओ कृष्ण बांसुरी वाले ॥
करि पय पान, पुतनहि तारयो ।
अका बका कागासुर मारयो ॥
मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला ।
भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला ॥
सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई ।
मसूर धार वारि वर्षाई ॥
लगत-लगत ब्रज चहन बहायो ।
गोवर्धन नखधारि बचायो ॥
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई ।
मुख महं चौदह भुवन दिखाई ॥
दुष्ट कंस अति उधम मचायो ।
कोटि कमल जब फूल मंगायो ॥
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें ।
चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें ॥
करि गोपिन संग रास विलासा ।
सबकी पूरण करी अभिलाषा ॥
केतिक महा असुर संहारयो ।
कंसहि केस पकड़ि दै मारयो ॥20
मात-पिता की बन्दि छुड़ाई ।
उग्रसेन कहं राज दिलाई ॥
महि से मृतक छहों सुत लायो ।
मातु देवकी शोक मिटायो ॥
भौमासुर मुर दैत्य संहारी ।
लाये षट दश सहसकुमारी ॥
दै भिन्हीं तृण चीर सहारा ।
जरासिंधु राक्षस कहं मारा ॥
असुर बकासुर आदिक मारयो ।
भक्तन के तब कष्ट निवारियो ॥
दीन सुदामा के दुःख टारयो ।
तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो ॥
प्रेम के साग विदुर घर मांगे ।
दुर्योधन के मेवा त्यागे ॥
लखि प्रेम की महिमा भारी ।
ऐसे श्याम दीन हितकारी ॥
भारत के पारथ रथ हांके ।
लिए चक्र कर नहिं बल ताके ॥
निज गीता के ज्ञान सुनाये ।
भक्तन ह्रदय सुधा वर्षाये ॥30
मीरा थी ऐसी मतवाली ।
विष पी गई बजाकर ताली ॥
राना भेजा सांप पिटारी ।
शालिग्राम बने बनवारी ॥
निज माया तुम विधिहिं दिखायो ।
उर ते संशय सकल मिटायो ॥
तब शत निन्दा करी तत्काला ।
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला ॥
जबहिं द्रौपदी टेर लगाई ।
दीनानाथ लाज अब जाई ॥
तुरतहिं वसन बने ननन्दलाला ।
बढ़े चीर भै अरि मुँह काला ॥
अस नाथ के नाथ कन्हैया ।
डूबत भंवर बचावत नैया ॥
सुन्दरदास आस उर धारी ।
दयादृष्टि कीजै बनवारी ॥
नाथ सकल मम कुमति निवारो ।
क्षमहु बेगि अपराध हमारो ॥
खोलो पट अब दर्शन दीजै ।
बोलो कृष्ण कन्हैया की जै ॥40
॥ दोहा ॥
यह चालीसा कृष्ण का,
पाठ करै उर धारि।
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल,
लहै पदारथ चारि॥
Shri Krishna Chalisa Lyrics in English/Hinglish
॥ दोहा ॥
Banshi shobhit kar madhur,
Neel jalad tan shyaam.
Arun adhar janu bimbaphal,
Nayan kamal abhiraam.
Poorn Indra, Arvind mukh,
Peetambar shubh saaj.
Jai Manmohan Madan chhavi,
Krishnachandra Maharaj.
॥ चौपाई ॥
Jai Yadunandan Jai Jagvandan.
Jai Vasudev Devaki Nandan.
Jai Yashoda sut Nand dulare.
Jai Prabhu bhaktan ke drig taare.
Jai Nat-nagar Naag nathaiya.
Krishna Kanhaiya Dhenu charaiya.
Puni nakh par Prabhu Girivar dharo.
Aao deenan kasht nivaro.
Banshi madhur adhar dhari teri.
Hove purn manorath mero.
Aao Hari puni makhan chakho.
Aaj laaj Bharat ki rakho.
Gol kapol, chibuk arunare.
Mridu muskan mohini dare.
Ranjit rajiv nayan vishala.
Mor mukut Vaijayanti mala.
Kundal shravan peetpat aache.
Kati kinkani kachan kache.
Neel jalaj sundar tanu sohe.
Chhavi lakhi, sur nar muniman mohe.
Mastak tilak, alak ghunghrale.
Aao Krishna bansuri wale.
Kari pay pan, Putanhi taryo.
Aka Baka Kagasur maryo.
Madhuvan jalat agni jab jwala.
Bhai sheetal, lakhitahin Nandlala.
Surpati jab Braj chadyo risai.
Masur dhar vari varshai.
Lagt-lagt Braj chahan bahayo.
Govardhan nakhdhari bachayo.
Lakhi Yashoda man bhram adhikayi.
Mukh mahn chaudah bhuvan dikhayi.
Dusht Kans ati udham machayo.
Koti kamal jab phool mangayo.
Nathi Kaliyahi tab tum linhe.
Charanchinh dai nirbhay kinhe.
Kari gopin sang Raas vilasa.
Sabki puran kari abhilasha.
Ketik maha asur sanharyo.
Kansahi kes pakad dai maryo.
Mat-pita ki bandi chhudai.
Ugrasen kahan raj dilai.
Mahi se mritak chhahon sut layo.
Matu Devaki shok mitayo.
Bhaumasur Mur daitya sanhari.
Laye shat dash sahas kumari.
Dai bhinhin trin cheer sahara.
Jarasindhu rakshas kahan mara.
Asur Bakasur adik maryo.
Bhaktan ke tab kasht nivariyo.
Deen Sudama ke dukh taryo.
Tandul teen munth mukh daryo.
Prem ke sag Vidur ghar mange.
Duryodhan ke mewa tyage.
Lakhi prem ki mahima bhari.
Aise Shyam deen hitkari.
Bharat ke Parath rath hanke.
Liye chakra kar nahin bal take.
Nij Gita ke gyan sunaye.
Bhaktan hriday sudha varshaye.
Meera thi aisi matwali.
Vish pi gayi bajakar tali.
Rana bheja saanp pitari.
Shaligram bane Banwari.
Nij maya tum vidhihin dikhayo.
Ur te sanshay sakal mitayo.
Tab shat ninda kari tatkala.
Jeevan mukt bhayo Shishupala.
Jabahin Draupadi ter lagai.
Deenanath laaj ab jai.
Turatahin vasan bane Nandalala.
Badhe cheer bhai ari munh kala.
As Nath ke Nath Kanhaiya.
Dubat bhanwar bachavat naiya.
Sundardas aas ur dhari.
Dayadrishti kijai Banwari.
Nath sakal mam kumati nivaro.
Kshamahu begi apradh hamaro.
Kholo pat ab darshan dijai.
Bolo Krishna Kanhaiya ki jai.
॥ दोहा ॥
Yah chalisa Krishna ka,
Path karai ur dhari.
Asht siddhi navnidhi phal,
Lahai padarath chari.
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